हिन्दी
वो देश क्या जिसकी, कोई ज़ुबान नहीं है
सर तो तना हुआ है, स्वाभिमान नहीं है
भाषा तो आप चाहे जो भी, बोल लें लेकिन
हिन्दी के बिना देश की, पहचान नहीं है
भाषा को धड.कनों में जिए, जा रहा हूं मैं
हर शब्द को अमृत सा, पिए जा रहा हूं मैं
अंग्रेज़ी जानता हूं मगर, गर्व है मुझे
हिन्दी में काम काज, किए जा रहा हूं मैं
सागर से मिल के भी, नदी प्यासी बनी रही
हंसने के बाद भी तो, उदासी बनी रही
अंग्रेजी को लोगों ने, पटरानी बना दिया
हिन्दी हमारे देश में, दासी बनी रही
सोच लिया है भारत मां की, बिन्दी को अपनाएंगे
तमिल, तेलगू, उर्दू, उडिया, सिन्धी को अपनाएंगे
अपने देश की सब भाषाएं, हमको जान से प्यारी हैं
लेकिन सबसे पहले मिलकर, हिन्दी को अपनाएंगे
Friday, August 31, 2007
Sunday, August 26, 2007
हंसी
आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं
जेब खाली है, खजाने का हुनर रखते हैं
अपनी आंखों में, भले आंसुओं का सागर हो
मगर जहां को हंसाने का हुनर रखते हैं
भीड. में दुनिया की पहचान बनी रहने दो
खुशी को अपने घर, मेहमान बनी रहने दो
हजार मुश्किलें आकर के, लौट जाएंगी
अपने होठों पे ये, मुस्कान बनी रहने दो
मां के आगे किसी मंदिर में न जाया जाए
कोई भूखा हो तो हमसे भी न खाया जाए
बस यही सोच के, सौ काम मैंने छोड. दिए
पहले रोते हुए लोगों को हंसाया जाए
किसी न किसी के गुनहगार होंगे
या फिर इस वतन के ही गद्दार होंगे
हंसी तो है यारो, इबादत खुदा की
जो हंसते नहीं हैं, वो बीमार होंगे
DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
kavisuniljogi@gmail.com
आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं
जेब खाली है, खजाने का हुनर रखते हैं
अपनी आंखों में, भले आंसुओं का सागर हो
मगर जहां को हंसाने का हुनर रखते हैं
भीड. में दुनिया की पहचान बनी रहने दो
खुशी को अपने घर, मेहमान बनी रहने दो
हजार मुश्किलें आकर के, लौट जाएंगी
अपने होठों पे ये, मुस्कान बनी रहने दो
मां के आगे किसी मंदिर में न जाया जाए
कोई भूखा हो तो हमसे भी न खाया जाए
बस यही सोच के, सौ काम मैंने छोड. दिए
पहले रोते हुए लोगों को हंसाया जाए
किसी न किसी के गुनहगार होंगे
या फिर इस वतन के ही गद्दार होंगे
हंसी तो है यारो, इबादत खुदा की
जो हंसते नहीं हैं, वो बीमार होंगे
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Friday, August 17, 2007
तिरंगा

पानी से भरी हर नदी, गंगा तो नहीं है
भागे जो दीप से वो, पतंगा तो नहीं है
माना हमारे देश में, झंडे तो बहुत हैं
लेकिन सभी के दिल में, तिरंगा तो नहीं है
कहते हैं रंग तिरंगे के, एकता की धारा अमर रहे
भारत माता के आंचल में, हर टंका सितारा अमर रहे
आजादी की खातिर गूंजा, बलिदानी नारा अमर रहे
मंदिर,मस्जिद,गिरिजाघर के, संगमें गुरूद्वारा अमर रहे
हाथ तो मिलते हैं, मुश्किल में ये मन मिलता है
किसी किसी को ही, सहरा में चमन मिलता है
जो अपनी जान लुटाते हैं, वतन की खातिर
उन्हीं लोगों को तिरंगे, का क़फ़न मिलता है
तन पर इस माटी का चंदन, मन के भीतर गंगा हो
देश भक्ति के दीप जलें, तो फिर बलिदान पतंगा हो
सौ करोड. की महाशक्ति हम, मिल करके संकल्प करें
सबके होठों पर जन गण मन, सबके हाथ तिरंगा हो
DR. SUNIL JOGI
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Wednesday, August 15, 2007
सियासत
सियासत
सियासत दिल पे घाव देती है
बिना चावल पोलाव देती है
बाढ. से पार उतरने के लिए
हमको क़ाग़ज़ की नाव देती है
विकास योजना सरकार लिए बैठी है
क़श्तियां हैं नहीं पतवार लिए बैठी है
ऐसा लगता है सियासत को देखकर यारो
जैसे विधवा कोई श्रृंगार किए बैठी है
बंद बंगलों में हुकूमत की चमक बैठी है
लाल बत्ती के सायरन में धमक बैठी है
हमारे ज़ख्मों पे फिर मरहम लगाने के लिए
सियासत हाथों में लेकर के नमक बैठी है
ना तो आंगन में सुबह शाम का फेरा होता
ना आसमां में किसी चांद का डेरा होता
अगर सूरज पे सियासत की हुकूमत चलती
तो सिर्फ़ उनके घरों में ही उजेरा होता
DR. SUNIL JOGI
DELHI, INDIA
CONTACT ON O9811005255
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सियासत दिल पे घाव देती है
बिना चावल पोलाव देती है
बाढ. से पार उतरने के लिए
हमको क़ाग़ज़ की नाव देती है
विकास योजना सरकार लिए बैठी है
क़श्तियां हैं नहीं पतवार लिए बैठी है
ऐसा लगता है सियासत को देखकर यारो
जैसे विधवा कोई श्रृंगार किए बैठी है
बंद बंगलों में हुकूमत की चमक बैठी है
लाल बत्ती के सायरन में धमक बैठी है
हमारे ज़ख्मों पे फिर मरहम लगाने के लिए
सियासत हाथों में लेकर के नमक बैठी है
ना तो आंगन में सुबह शाम का फेरा होता
ना आसमां में किसी चांद का डेरा होता
अगर सूरज पे सियासत की हुकूमत चलती
तो सिर्फ़ उनके घरों में ही उजेरा होता
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Sunday, August 5, 2007
दोस्ती
इधर उधर की बात करके, रंग बदलते हैं
जब अलग कर नहीं पाते, तो हाथ मलते हैं
कहने सुनने में किसी के, कभी नहीं आना
दुनियां वाले हमारी, दोस्ती से जलते हैं
दुश्मनी रखते हैं जो, वो कसाई होते हैं
दोस्त इस दुनियां में, गाढी कमाई होते हैं
ख़ुशी हो, ग़म हो, हर क़दम पे साथ चलते हैं
दोस्त पिछले जनम के, भाई भाई होते हैं
सांस की नुमाइश में, जिन्दगी नहीं मिलती
आजकल चरागों से, रौशनी नहीं मिलती
स्वार्थ के अंधेरे में, डूब गये हैं रिश्ते
कृष्ण औ सुदामा सी, दोस्ती नहीं मिलती
बिछड. जाएगी मगर, छूट नहीं सकती है
और कच्चे घडे सी, फूट नहीं सकती है
ज़मीं पे ज़लज़ला आये, या सितारे टूटें
दोस्ती अपनी कभी, टूट नहीं सकती है
DR. SUNIL JOGIDELHI, INDIACONTACT ON - O9811005255http://www.kavisuniljogi.com/http://www.hasyakavisammelan.com/kavisuniljogi@gmail.com
Thursday, August 2, 2007
बरखा की डोली
बरखा की डोली लिए, आए मेघ कहार
धरती माँ की गोद में, रिमझिम पड़ी फुहार
टॉर्च दिखाती दामिनी, लिए नगाड़े संग
पानी का मांजा लिए, बादल बने पतंग
बरखा रानी हो गई, सज धज कर तैयार
रंग-बिरंगी छतरियों का आया त्यौहार
छम छम छम करने लगे, यों बूँदों के साज़
ज्यों आँगन में नाचते, हों बिरजू महाराज
बदरी से मिलने चले, बादल भरे उमंग
श्वेत रंग काला हुआ, शक्ल हुई बदरंग
दुखिया छप्पर के तले, भीगा सारी रात
तन करके मेहमान-सी, घर आई बरसात
सोम रंग से भी बड़ा, पानी तेरा रंग
एक घूँट से धूप की, उतर गई सब भंग
सिंहासन बादल चढ़े, धूप हुई कंगाल
उछले-उछले गाँव में, घूम रहे हैं ताल
पिया बसे परदेस में, गोरी है बेचैन
सावन भादों बन गए, दो कजरारे नैन
छप्पर ने मुँह धो लिए, चमक उठी खपरैल
इक बारिश में धुल गया, मन का सारा मैल
सदियों से जाती रही, मैं सागर के पास
नदिया बोली मेघ से, आज बुझी है प्यास
पावस आई कट गई, फिर पतझड़ की नाक
सब पेड़ों ने पहन ली, हरी-हरी पोशाक
बच्चे बारिश देखकर, गए खुशी से फूल
'रेनी डे' -में हो गए, बंद सभी स्कूल
सुनकर बादल बूँद के, टूट गए संबंध
नदी तोड़ कर चल पड़ी, तट के सब अनुबंध
-सुनील जोगी
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cell no - 09811005255
Wednesday, August 1, 2007
रिश्ता
मेरी नजरों को वो शख्स फरिश्ता लगता है
कभी कभी मुझको मेरा ही हिस्सा लगता है
दूर अगर जाउं तो बेचैनी सी होती है
मेरा उसका जनम जनम का रिश्ता लगता है
पावन हों तो माथे का, चन्दन बन जाते हैं
राधा कान्हा हों तो, वन्दावन बन जाते हैं
एक साथ रह करके भी, दूरी सी लगती है
कभी कभी ये रिश्ते भी, बन्धन बन जाते हैं
अपने मतलब से दुनियां में, रिश्ता नाता है
हाथ मिलाते हैं सब, दिल को कौन मिलाता है
काम निकल जाए तो, कोई याद नहीं करता
बारिश थम जाए तो, छाता कौन लगाता है
उसका अंदाज जमाने से जुदा लगता है
वो मुझे मेरी मोहब्बत का खुदा लगता है
मेरा उसका कोई रिश्ता तो नहीं है लेकिन
कोई कुछ उसको कहे, मुझको बुरा लगता है
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