Friday, August 17, 2007
तिरंगा
पानी से भरी हर नदी, गंगा तो नहीं है
भागे जो दीप से वो, पतंगा तो नहीं है
माना हमारे देश में, झंडे तो बहुत हैं
लेकिन सभी के दिल में, तिरंगा तो नहीं है
कहते हैं रंग तिरंगे के, एकता की धारा अमर रहे
भारत माता के आंचल में, हर टंका सितारा अमर रहे
आजादी की खातिर गूंजा, बलिदानी नारा अमर रहे
मंदिर,मस्जिद,गिरिजाघर के, संगमें गुरूद्वारा अमर रहे
हाथ तो मिलते हैं, मुश्किल में ये मन मिलता है
किसी किसी को ही, सहरा में चमन मिलता है
जो अपनी जान लुटाते हैं, वतन की खातिर
उन्हीं लोगों को तिरंगे, का क़फ़न मिलता है
तन पर इस माटी का चंदन, मन के भीतर गंगा हो
देश भक्ति के दीप जलें, तो फिर बलिदान पतंगा हो
सौ करोड. की महाशक्ति हम, मिल करके संकल्प करें
सबके होठों पर जन गण मन, सबके हाथ तिरंगा हो
DR. SUNIL JOGI
DELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
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1 comment:
सुनील जी आपका लिन्क नारद पर जोड़ दिया है...
जल्द ही नारद पर दिखाई देगा...
हाथ तो मिलते हैं, मुश्किल में ये मन मिलता है
किसी किसी को ही, सहरा में चमन मिलता है
जो अपनी जान लुटाते हैं, वतन की खातिर
उन्हीं लोगों को तिरंगे, का क़फ़न मिलता है
आपकी रचना में निम्न पक्तिंयाँ बहुत ही खूबसूरत हैं...
सुनीता(शानू)
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