tag:blogger.com,1999:blog-87222948270096966092024-03-24T16:32:16.698-07:00जोगी जी वाहkavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-70977488290537775872009-12-07T07:39:00.000-08:002009-12-07T07:48:25.593-08:00maa<p>डॉ. सुनील जोगी – एक परिचय<br /><br /> डॉ. सुनील जोगी भारत के एक बहुचर्चित कवि और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व का नाम हैा उन्होंने विविध विषयों की लगभग 75 पुस्तकों का प्रणयन किया है ा विभिन्न राष्ट्रीय पत्र पत्रकाओं में स्तम्भ लेखन के साथ उन्होंने अनेक चैनलों पर भी अपनी प्रस्तुतियां दी हैं ा जोगी जी ने भारत के अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे, दुबई, ओमान, सूरीनाम जैसे अनेक देशों में कई-कई बार काव्य यात्राएं की हैं तथा अब तक लगभग 2500 से अधिक कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ और संचालन किया है ा उन्हें आज देश की नई पीढी के कवियों में सर्वाधिक उर्जावान रचनाकार माना जाता है तथा मंच पर अद्भुत प्रस्तुति देने में उनका कोई सानी नहीं है ा<br /> श्री जोगी ने अनेकों कैसेटों और फिल्मों में गीत लिखे हैं तथा संसद भवन से लेकर विभिन्न मंत्रालयों व राज्य स्तरीय अकादमियों में उच्च पदों पर कार्य किया है ा<br /><br />आजकल वे भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों व राजनेताओं के सलाहकार हैं और एक ‘हास्य वसंत’ त्रैमासिकी का संपादन करते हैं ा<br />उन्हें आप उनके जालघर पर जाकर सम्पर्क कर सकते हैं -<br />DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</p><p>CONTACT ON -O9811005255</p><p><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a></p><p><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a></p><p><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a><br /><br /><br />यहां डॉ. सुनील जोगी की नवीनतम और चर्चित रचना मां प्रस्तुत है –<br /><br /><br />मां<br />किसी की खातिर अल्ला होगा<br />किसी की खातिर राम<br />लेकिन अपनी खातिर तो है<br />मां ही चारों धाम ा<br /></p><p>जब आंख खुली तो अम्मा की<br />गोदी का एक सहारा था<br />उसका नन्हा सा आंचल मुझको<br />भूमण्डल से प्यारा था<br /><br />उसके चेहरे की झलक देख<br />चेहरा फूलों सा खिलता था<br />उसके स्तन की एक बूंद से<br />मुझको जीवन मिलता था<br /></p><p>हाथों से बालों को नोंचा<br />पैरों से खूब प्रहार किया<br />फिर भी उस मां ने पुचकारा<br />हमको जी भर के प्यार किया<br /></p><p>मैं उसका राजा बेटा था<br />वो आंख का तारा कहती थी<br />मैं बनूं बुढापे में उसका<br />बस एक सहारा कहती थी<br /></p><p>उंगली को पकड. चलाया था<br />पढने विद्यालय भेजा था<br />मेरी नादानी को भी निज<br />अन्तर में सदा सहेजा था<br /></p><p> </p><p>मेरे सारे प्रश्नों का वो<br />फौरन जवाब बन जाती थी<br />मेरी राहों के कांटे चुन<br />वो खुद गुलाब बन जाती थी<br /></p><p>मैं बडा हुआ तो कॉलेज से<br />इक रोग प्यार का ले आया<br />जिस दिल में मां की मूरत थी<br />वो रामकली को दे आया<br /></p><p>शादी की पति से बाप बना<br />अपने रिश्तों में झूल गया<br />अब करवाचौथ मनाता हूं<br />मां की ममता को भूल गया<br /></p><p>हम भूल गये उसकी ममता<br />मेरे जीवन की थाती थी<br />हम भूल गये अपना जीवन<br />वो अमृत वाली छाती थी<br /></p><p>हम भूल गये वो खुद भूखी<br />रह करके हमें खिलाती थी<br />हमको सूखा बिस्तर देकर<br />खुद गीले में सो जाती थी<br /></p><p>हम भूल गये उसने ही<br />होठों को भाषा सिखलायी थी<br />मेरी नीदों के लिए रात भर<br />उसने लोरी गायी थी<br /></p><p>हम भूल गये हर गलती पर<br />उसने डांटा समझाया था<br />बच जाउं बुरी नजर से<br />काला टीका सदा लगाया था<br /></p><p>हम बडे हुए तो ममता वाले<br />सारे बन्धन तोड. आए<br />बंगले में कुत्ते पाल लिए<br />मां को वृद्धाश्रम छोड आए<br /></p><p>उसके सपनों का महल गिरा कर<br />कंकर-कंकर बीन लिए<br />खुदग़र्जी में उसके सुहाग के<br />आभूषण तक छीन लिए<br /></p><p>हम मां को घर के बंटवारे की<br />अभिलाषा तक ले आए<br />उसको पावन मंदिर से<br />गाली की भाषा तक ले आए<br /></p><p>मां की ममता को देख मौत भी<br />आगे से हट जाती है<br />गर मां अपमानित होती<br />धरती की छाती फट जाती है<br /></p><p>घर को पूरा जीवन देकर<br />बेचारी मां क्या पाती है<br />रूखा सूखा खा लेती है<br />पानी पीकर सो जाती है<br /></p><p>जो मां जैसी देवी घर के<br />मंदिर में नहीं रख सकते हैं<br />वो लाखों पुण्य भले कर लें<br />इंसान नहीं बन सकते हैं<br /></p><p>मां जिसको भी जल दे दे<br />वो पौधा संदल बन जाता है<br />मां के चरणों को छूकर पानी<br />गंगाजल बन जाता है<br /></p><p>मां के आंचल ने युगों-युगों से<br />भगवानों को पाला है<br />मां के चरणों में जन्नत है<br />गिरिजाघर और शिवाला है<br /></p><p>हिमगिरि जैसी उंचाई है<br />सागर जैसी गहराई है<br />दुनियां में जितनी खुशबू है<br />मां के आंचल से आई है<br /></p><p>मां कबिरा की साखी जैसी<br />मां तुलसी की चौपाई है<br />मीराबाई की पदावली<br />खुसरो की अमर रूबाई है<br /><br />मां आंगन की तुलसी जैसी<br />पावन बरगद की छाया है<br />मां वेद ऋचाओं की गरिमा<br />मां महाकाव्य की काया है<br /></p><p>मां मानसरोवर ममता का<br />मां गोमुख की उंचाई है<br />मां परिवारों का संगम है<br />मां रिश्तों की गहराई है<br /></p><p>मां हरी दूब है धरती की<br />मां केसर वाली क्यारी है<br />मां की उपमा केवल मां है<br />मां हर घर की फुलवारी है<br /></p><p>सातों सुर नर्तन करते जब<br />कोई मां लोरी गाती है<br />मां जिस रोटी को छू लेती है<br />वो प्रसाद बन जाती है<br /></p><p>मां हंसती है तो धरती का<br />ज़र्रा-ज़र्रा मुस्काता है<br />देखो तो दूर क्षितिज अंबर<br />धरती को शीश झुकाता है<br /></p><p>माना मेरे घर की दीवारों में<br />चन्दा सी मूरत है<br />पर मेरे मन के मंदिर में<br />बस केवल मां की मूरत है<br /></p><p>मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा<br />अनुसूया मरियम सीता है<br />मां पावनता में रामचरित<br />मानस है भगवत गीता है<br /><br />अम्मा तेरी हर बात मुझे<br />वरदान से बढकर लगती है<br />हे मां तेरी सूरत मुझको<br />भगवान से बढकर लगती है<br /></p><p>सारे तीरथ के पुण्य जहां<br />मैं उन चरणों में लेटा हूं<br />जिनके कोई सन्तान नहीं<br />मैं उन मांओं का बेटा हूं<br /></p><p>हर घर में मां की पूजा हो<br />ऐसा संकल्प उठाता हूं<br />मैं दुनियां की हर मां के<br />चरणों में ये शीश झुकाता हूं ा<br /></p><p> ----------------<br />DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</p><p>CONTACT ON - O9811005255</p><p><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a></p><p><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a></p><p><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a></p>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com43tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-10830997056672112722007-10-02T05:15:00.000-07:002007-10-02T05:24:57.131-07:00वादा<span style="color:#990000;">किसके दिल में क्या है, ये अंदाज़ा करते हैं<br />माल दिखे तो फौरन आधा-आधा करते हैं<br />कोई काम नहीं करते हैं, ये खद्दर वाले<br />केवल भाषण देते हैं, औ वादा करते हैं<br /><br />अपने दामन को तार-तार कर लिया मैंने<br />प्यार अहसास था अख़बार कर लिया मैंने<br />जिसने दुनिया में कभी कोई सच नहीं बोला<br />उसके वादों पे ऐतबार कर लिया मैंने</span><br /><br /><span style="color:#990000;">यहां लोग मरकर जिए जा रहे हैं<br />बिखरकर लहू को सिए जा रहे हैं<br />खुदा जाने कब ये गरीबी मिटेगी<br />वो वादे पे वादे किए जा रहे हैं<br /><br />ग़मों में मुस्कराता जा रहा हूं<br />मैं तन्हा गीत गाता जा रहा हूं<br />किसी से कह दिया था ख़ुश रहूंगा<br />वही वादा निभाता जा रहा हूं<br /></span><br />मेरी हास्य कविताएं पढने के लिए<br /><a href="http://www.kavijogihasyahungama.blogspot.com/">www.kavijogihasyahungama.blogspot.com</a><br /><br />और गीत पढने के लिए<br /><a href="http://www.kavisuniljogi-geet.blogspot.com/">www.kavisuniljogi-geet.blogspot.com</a><br /><br />पर जाएं <br /><br /><span style="color:#009900;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br />CONTACT ON - O9811005255<br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/"><span style="color:#6600cc;">www.kavisuniljogi.com</span></a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-2312815965632608642007-09-27T00:46:00.000-07:002007-09-27T00:48:37.501-07:00मोहब्बत<span style="color:#6600cc;">कभी हमको हंसाती है, कभी हमको रूलाती है<br />जिन्हें जीना नहीं आता, उन्हें जीना सिखाती है,<br />खुदा के नाम पर लिक्खी, ये दीवानों की पाती है<br />मोहब्बत की नहीं जाती, मोहब्बत खुद हो जाती है ।<br /><br />खुदा के सामने दिल से इबादत कौन करता है<br />तिरंगा हाथ में लेकर शहादत कौन करता है<br />ये कसमें और वादे चार दिन में टूट जाते हैं<br />वो लैला और मजनूं सी मोहब्बत कौन करता है ।<br /><br />जीतने में क्या मिलेगा, जो मजा है हार में<br />जिन्दगी का फलसफा है, प्यार के व्यापार में<br />हम तो तन्हा थे, हमारा नाम लेवा भी न था<br />इस मोहब्बत से हुआ चर्चा सरे बाजार में ।<br /><br />सदा मिलने की चाहत की, जुदा होना नहीं मांगा<br />हमें इंसान प्यारे हैं, खुदा होना नहीं मांगा<br />हमेशा मंदिरो मस्जिद में, मांगा है मोहब्बत को<br />कभी चांदी नही मांगी, कभी सोना नहीं मांगा ।<br /><br /></span><span style="color:#ff6600;">DR. SUNIL JOGIDELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#996633;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/"><span style="color:#006600;">www.hasyakavisammelan.com</span></a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-52046995602063786682007-09-17T11:12:00.000-07:002007-09-17T11:15:03.242-07:00सरकार<span style="color:#cc0000;">विकास योजना तैयार किए बैठे हैं<br />सबकी उम्मीद तार-तार किए बैठे हैं<br />हमने सरकारी महक़मों में जाके देखा है<br />जुगुनू सूरज को गिरफ्तार किए बैठे हैं</span><br /><br /><span style="color:#009900;">भाव सेवा का दिखाने में लगे हैं प्यारे<br />बिना पानी के नहाने में लगे हैं प्यारे<br />जिनसे उम्मीद थी खुशियों की सुबह लाएंगे<br />अपनी सरकार बचाने में लगे हैं प्यारे<br /></span><br /><span style="color:#666600;">लगता है घर के आंगन को दीवार खा गई<br />दरिया चढा तो नाव को पतवार खा गई<br />सारी विकास योजनाएं फाइलों में हैं<br />जनता के सारे ख्वाब तो सरकार खा गई<br /></span><br /><span style="color:#3333ff;">ख़ुशबू की खिलाफत का फैसला तो देखिए<br />आएगा किसी रोज़, जलजला तो देखिए<br />सूरज को भी गुमराह कर रहे हैं दोस्तो<br />सरकारी चराग़ों का हौसला तो देखिए<br /><br /></span><span style="color:#663333;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#ff6666;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/"><span style="color:#33cc00;">www.kavisuniljogi.com</span></a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-2422014550154916272007-09-11T10:34:00.000-07:002007-09-11T10:42:58.852-07:00नदी<span style="color:#ff6600;">हर इक मूरत ज़रूरत भर का, पत्थर ढूंढ लेती है<br />कि जैसे नींद अपने आप, बिस्तर ढूंढ लेती है<br />अगर हो हौसला दिल में, तो मंजिल मिल ही जाती है<br />नदी ख़ुद अपने क़दमों से, समन्दर ढूंढ लेती है</span><br /><br /><span style="color:#009900;">तू नदी है तो अलग अपना, रास्ता रखना<br />न किसी राह के, पत्थर से वास्ता रखना<br />पास जाएगी तो खुद, उसमें डूब जाएगी<br />अगर मिले भी समन्दर, तो फासला रखना<br /></span><br /><span style="color:#000099;">वो जिनके दम से जहां में, तेरी खुदाई है<br />उन्हीं लोगों के लबों से, ये सदा आई है<br />समन्दर तो बना दिए, मगर बता मौला<br />तूने सहरा में नदी, क्यूं नहीं बनाई है<br /></span><br /><span style="color:#999900;">हौसलों को रात दिन, दिखला रही है देखिए<br />परबतों से लड. रही, बल खा रही है देखिए<br />किसकी हिम्मत है जो, उसको रोक लेगा राह में<br />इक नदी सागर से मिलने जा रही है देखिए<br /><br /></span><br /><span style="color:#cc0000;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#33cc00;">CONTACT ON- O9811005255 </span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-19789550866361817492007-09-09T22:52:00.000-07:002007-09-09T22:55:51.961-07:00फूल<span style="color:#cc33cc;">महकती हुई जिन्दगी बांटते हैं<br />ज़माने में सबको ख़ुशी बांटते हैं<br />भले उनकी किस्मत में कांटे लिखे हों<br />मगर फूल हमको हंसी बांटते हैं<br /><br /></span><span style="color:#33cc00;">सोने चांदी को खजानों में रखा जाता है<br />बूढे लोगों को दालानों में रखा जाता है<br />रंग होते हैं बस, खुशबू नहीं होती जिनमें<br />उन्हीं फूलों को गुलदानों में रखा जाता है<br /><br /></span><span style="color:#cc0000;">ग़मों के बीच भी जो लोग मुस्कराते हैं<br />वही इंसानियत का हौसला बढाते हैं<br />लोग कांटों को तो छूने से भी कतराते हैं<br />फूल होते हैं तो पहलू में रखे जाते हैं<br /></span><br /><span style="color:#6600cc;">चाहत के बदले नफ़रत का, नश्तर लेकर बैठे हैं<br />पीने का पानी मांगा तो, सागर लेकर बैठे हैं<br />लाख भलाई कर लो, लेकिन लोग बुराई करते हैं<br />हमने जिनको फूल दिए, वो पत्थर लेकर बैठे हैं<br /></span><br /><span style="color:#009900;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#ff0000;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com"><span style="color:#999900;">kavisuniljogi@gmail.com</span></a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-86204845525318790092007-09-05T22:18:00.000-07:002007-09-05T22:24:42.907-07:00गुरू<span style="color:#cc33cc;">मिट जाएगा सब अंधियारा, शिक्षा का गुणगान करो<br />बांटे से बढ.ता है ये तो, सदा ज्ञान का दान करो<br />इस धरती पर गुरूवार ही हमको, परम सत्य बतलाता है<br />अर्जुन जैसा बनना है तो, गुरूओं का सम्मान करो<br /></span><br /><span style="color:#009900;">सदा ज्ञान के पृष्ठ काले मिलेंगे<br />जेहन में मकडि.यों के जाले मिलेंगे<br />भटकते रहोगे अंधेरों में हरदम<br />गुरूवार के बिना ना उजाले मिलेंगे</span><br /><br /><span style="color:#cc6600;">ज्ञान के पांव का गोखुरू हो गये<br />भीड. देखी तो फ़ौरन शुरू हो गये<br />आ गये चैनलों पर चमकने लगे<br />चन्द चेले जुटाकर गुरू हो गये</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">ट्यूशन पढा-पढा के मालामाल हो गये<br />औ ज्ञान के सागर के सूखे ताल हो गये<br />किसका अंगूठा मांग लें, हैं इस फिराक़ में<br />पहले के गुरू अब गुरू घंटाल हो गये<br /><br /></span><span style="color:#ff6600;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#33cc00;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-76465432217671182082007-09-03T10:49:00.000-07:002007-09-03T10:52:43.977-07:00बेटियां<span style="color:#ff0000;">मेंहदी, कुमकुम, रोली का, त्योहार नहीं होता<br />रक्षाबन्धन के चन्दन का, प्यार नहीं होता<br />उसका आंगन एकदम, सूना सूना रहता है<br />जिसके घर में बेटी का, अवतार नहीं होता<br /><br /><br /></span><span style="color:#33cc00;">सूने दिन भी दोस्तो, त्योहार बनते हैं<br />फूल भी हंसकर, गले का हार बनते हैं<br />टूटने लगते हैं सारे बोझ से रिश्ते<br />बेटियां होती हैं तो, परिवार बनते हैं<br /></span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">झूले पड.ने पर मौसम, सावन हो जाता है<br />एक डोर से रिश्ते का, बन्धन हो जाता है<br />मेंहदी के रंग, पायल, कंगन, सजते रहते हैं<br />बेटी हो तो आंगन वृन्दावन हो जाता है<br /></span><br /><span style="color:#cc33cc;">जैसे संत पुरूष को पावन कुटिया देता है<br />गंगा जल धारण करने को लुटिया देता है<br />जिस पर लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की किरपा हो<br />उसके घर में उपर वाला बिटिया देता है<br /><br /></span><span style="color:#009900;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#cc6600;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-25076226411914475742007-09-02T10:30:00.000-07:002007-09-02T10:55:48.320-07:00शायरी<p><span style="color:#006600;">शायरी<br /></span><br /><span style="color:#ff6600;">जिन्दगी उसकी है यारो, जिसके दिल में प्यार है<br />रूप उसका है कि जिसके, पास में श्रृंगार है<br />फूल में खुशबू ना हो तो, बोलिए किस काम का<br />दिल अगर बेकार है तो, शायरी बेकार है<br /><br /></span><span style="color:#6600cc;">हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे<br />लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे<br />क़ामयाबी जिसने पाई, उनके घर तो बस गये<br />जिनके दिल टूटे वो आशिक़, शायरी करने लगे<br /><br /></span><span style="color:#33cc00;">हर खुशी आएगी पहले, ग़म उठाना सीख लो<br />रौशनी पानी है तो फिर, घर जलाना सीख लो<br />लोग मुझसे पूछते हैं, शायरी कैसे करूं<br />मैं ये कहता हूं किसी से, दिल लगाना सीख लो</span></p><span style="color:#33cc00;"><p><br /></span><span style="color:#993399;">मोहब्बत के अंजाम से डर रहे हैं<br />निगाहों में अपनी लहू भर रहे हैं<br />मेरी प्रेमिका ले उडा और कोई<br />इक हम हैं कि बस शायरी कर रहे हैं<br /></span><br /> <span style="color:#ff0000;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span></p><p><span style="color:#33ff33;">CONTACT ON - O9811005255</span></p><p><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a></p><p><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a></p><p><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a></p>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-44948669986353574172007-08-31T23:12:00.000-07:002007-08-31T23:14:20.836-07:00<span style="color:#cc0000;">हिन्दी</span><br /><br /><span style="color:#33cc00;">वो देश क्या जिसकी, कोई ज़ुबान नहीं है<br />सर तो तना हुआ है, स्वाभिमान नहीं है<br />भाषा तो आप चाहे जो भी, बोल लें लेकिन<br />हिन्दी के बिना देश की, पहचान नहीं है</span><br /><br /><span style="color:#6600cc;">भाषा को धड.कनों में जिए, जा रहा हूं मैं<br />हर शब्द को अमृत सा, पिए जा रहा हूं मैं<br />अंग्रेज़ी जानता हूं मगर, गर्व है मुझे<br />हिन्दी में काम काज, किए जा रहा हूं मैं<br /></span><br /><span style="color:#cc6600;">सागर से मिल के भी, नदी प्यासी बनी रही<br />हंसने के बाद भी तो, उदासी बनी रही<br />अंग्रेजी को लोगों ने, पटरानी बना दिया<br />हिन्दी हमारे देश में, दासी बनी रही<br /><br /></span><span style="color:#000066;">सोच लिया है भारत मां की, बिन्दी को अपनाएंगे<br />तमिल, तेलगू, उर्दू, उडिया, सिन्धी को अपनाएंगे<br />अपने देश की सब भाषाएं, हमको जान से प्यारी हैं<br />लेकिन सबसे पहले मिलकर, हिन्दी को अपनाएंगे<br /></span>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-3943148063006618062007-08-26T11:12:00.000-07:002007-08-26T11:16:42.270-07:00<span style="color:#cc0000;">हंसी</span><br /><br /><span style="color:#000099;">आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं<br />जेब खाली है, खजाने का हुनर रखते हैं<br />अपनी आंखों में, भले आंसुओं का सागर हो<br />मगर जहां को हंसाने का हुनर रखते हैं<br /><br /></span><span style="color:#006600;">भीड. में दुनिया की पहचान बनी रहने दो<br />खुशी को अपने घर, मेहमान बनी रहने दो<br />हजार मुश्किलें आकर के, लौट जाएंगी<br />अपने होठों पे ये, मुस्कान बनी रहने दो<br /><br /></span><span style="color:#cc33cc;">मां के आगे किसी मंदिर में न जाया जाए<br />कोई भूखा हो तो हमसे भी न खाया जाए<br />बस यही सोच के, सौ काम मैंने छोड. दिए<br />पहले रोते हुए लोगों को हंसाया जाए<br /><br /></span><span style="color:#666600;">किसी न किसी के गुनहगार होंगे<br />या फिर इस वतन के ही गद्दार होंगे<br />हंसी तो है यारो, इबादत खुदा की<br />जो हंसते नहीं हैं, वो बीमार होंगे<br /></span><br /><span style="color:#009900;">DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA</span><br /><span style="color:#ff0000;">CONTACT ON - O9811005255</span><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">www.kavisuniljogi.com</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">www.hasyakavisammelan.com</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-8409526734294827392007-08-17T22:07:00.000-07:002007-08-17T22:07:29.787-07:00तिरंगा<span style="color:#cc33cc;"></span><br /><span style="color:#cc33cc;"></span><br /><span style="color:#cc33cc;"><a href="http://www.akshargram.com/narad" target="_blank"><img alt="NARAD:Hindi Blog Aggregator" src="http://www.jitu.info/images/narad.jpg" border="1" /></a></span><br /><span style="color:#cc33cc;"><br /></span><span style="color:#cc33cc;"><br /></span><span style="color:#ff6600;">पानी से भरी हर नदी, गंगा तो नहीं है<br />भागे जो दीप से वो, पतंगा तो नहीं है<br />माना हमारे देश में, झंडे तो बहुत हैं<br />लेकिन सभी के दिल में, तिरंगा तो नहीं है<br /></span><br /><span style="color:#ff6600;"><span style="color:#009900;">कहते हैं रंग तिरंगे के, एकता की धारा अमर रहे<br />भारत माता के आंचल में, हर टंका सितारा अमर रहे<br />आजादी की खातिर गूंजा, बलिदानी नारा अमर रहे<br />मंदिर,मस्जिद,गिरिजाघर के, संगमें गुरूद्वारा अमर रहे<br /></span><br /></span><span style="color:#cc0000;">हाथ तो मिलते हैं, मुश्किल में ये मन मिलता है<br />किसी किसी को ही, सहरा में चमन मिलता है<br />जो अपनी जान लुटाते हैं, वतन की खातिर<br />उन्हीं लोगों को तिरंगे, का क़फ़न मिलता है</span><br /><span style="color:#cc0000;"><br /></span><span style="color:#3333ff;">तन पर इस माटी का चंदन, मन के भीतर गंगा हो<br />देश भक्ति के दीप जलें, तो फिर बलिदान पतंगा हो<br />सौ करोड. की महाशक्ति हम, मिल करके संकल्प करें<br />सबके होठों पर जन गण मन, सबके हाथ तिरंगा हो<br /></span><br /><span style="color:#009900;">DR. SUNIL JOGI</span><br /><span style="color:#3366ff;">DELHI, INDIA</span><br />CONTACT ON - O9811005255<br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">http://www.kavisuniljogi.com/</a><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">http://www.hasyakavisammelan.com/</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-72819122644375566112007-08-15T21:07:00.000-07:002007-08-15T21:16:56.151-07:00सियासत<span style="color:#990000;">सियासत</span><br /><br /><br /><span style="color:#006600;">सियासत दिल पे घाव देती है<br />बिना चावल पोलाव देती है<br />बाढ. से पार उतरने के लिए<br />हमको क़ाग़ज़ की नाव देती है </span><br /><br /><span style="color:#006600;"><br /></span><span style="color:#000099;">विकास योजना सरकार लिए बैठी है<br />क़श्तियां हैं नहीं पतवार लिए बैठी है<br />ऐसा लगता है सियासत को देखकर यारो<br />जैसे विधवा कोई श्रृंगार किए बैठी है </span><br /><br /><br /><span style="color:#663300;">बंद बंगलों में हुकूमत की चमक बैठी है<br />लाल बत्ती के सायरन में धमक बैठी है</span><br /><br /><span style="color:#663300;">हमारे ज़ख्मों पे फिर मरहम लगाने के लिए<br />सियासत हाथों में लेकर के नमक बैठी है<br /><br /></span><span style="color:#ff6600;">ना तो आंगन में सुबह शाम का फेरा होता<br />ना आसमां में किसी चांद का डेरा होता<br />अगर सूरज पे सियासत की हुकूमत चलती<br />तो सिर्फ़ उनके घरों में ही उजेरा होता </span><br /><br /><br /><br /><br />DR. SUNIL JOGI<br /><br />DELHI, INDIA<br /><br />CONTACT ON O9811005255<br /><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">http://www.kavisuniljogi.com/</a><br /><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">http://www.hasyakavisammelan.com/</a><br /><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-14109915262194363672007-08-05T09:24:00.000-07:002007-08-12T00:54:38.790-07:00दोस्ती<span style="color:#33cc00;"><br /></span><span style="color:#cc33cc;"><br /></span><span style="color:#663366;"><span style="color:#009900;"><strong>इधर उधर की बात करके, रंग बदलते हैं<br />जब अलग कर नहीं पाते, तो हाथ मलते हैं<br />कहने सुनने में किसी के, कभी नहीं आना<br />दुनियां वाले हमारी, दोस्ती से जलते हैं<br /></strong></span><br /><strong>दुश्मनी रखते हैं जो, वो कसाई होते हैं<br />दोस्त इस दुनियां में, गाढी कमाई होते हैं<br />ख़ुशी हो, ग़म हो, हर क़दम पे साथ चलते हैं<br />दोस्त पिछले जनम के, भाई भाई होते हैं<br /></strong><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>सांस की नुमाइश में, जिन्दगी नहीं मिलती<br />आजकल चरागों से, रौशनी नहीं मिलती<br />स्वार्थ के अंधेरे में, डूब गये हैं रिश्ते<br />कृष्ण औ सुदामा सी, दोस्ती नहीं मिलती<br /></strong></span><br /></span><span style="color:#cc33cc;"><strong>बिछड. जाएगी मगर, छूट नहीं सकती है<br />और कच्चे घडे सी, फूट नहीं सकती है<br />ज़मीं पे ज़लज़ला आये, या सितारे टूटें<br />दोस्ती अपनी कभी, टूट नहीं सकती है<br /></strong></span><br /><span style="color:#000099;">DR. SUNIL JOGIDELHI, INDIACONTACT ON - O9811005255</span><a href="http://www.kavisuniljogi.com/"><span style="color:#000099;">http://www.kavisuniljogi.com/</span></a><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/"><span style="color:#000099;">http://www.hasyakavisammelan.com/</span></a><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com"><span style="color:#000099;">kavisuniljogi@gmail.com</span></a>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-4228264532143799242007-08-02T06:48:00.000-07:002007-08-12T01:00:18.569-07:00बरखा की डोली<span style="color:#990000;"><br /></span><br /><strong><span style="color:#000099;">बरखा की डोली लिए, आए मेघ कहार<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">धरती माँ की गोद में, रिमझिम पड़ी फुहार<br /><br />टॉर्च दिखाती दामिनी, लिए नगाड़े संग<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">पानी का मांजा लिए, बादल बने पतंग<br /><br />बरखा रानी हो गई, सज धज कर तैयार<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">रंग-बिरंगी छतरियों का आया त्यौहार<br /><br />छम छम छम करने लगे, यों बूँदों के साज़<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">ज्यों आँगन में नाचते, हों बिरजू महाराज<br /><br />बदरी से मिलने चले, बादल भरे उमंग<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">श्वेत रंग काला हुआ, शक्ल हुई बदरंग<br /><br />दुखिया छप्पर के तले, भीगा सारी रात<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">तन करके मेहमान-सी, घर आई बरसात<br /><br />सोम रंग से भी बड़ा, पानी तेरा रंग<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">एक घूँट से धूप की, उतर गई सब भंग<br /><br />सिंहासन बादल चढ़े, धूप हुई कंगाल<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">उछले-उछले गाँव में, घूम रहे हैं ताल<br /><br />पिया बसे परदेस में, गोरी है बेचैन<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">सावन भादों बन गए, दो कजरारे नैन<br /><br />छप्पर ने मुँह धो लिए, चमक उठी खपरैल<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">इक बारिश में धुल गया, मन का सारा मैल<br /><br />सदियों से जाती रही, मैं सागर के पास<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">नदिया बोली मेघ से, आज बुझी है प्यास<br /><br />पावस आई कट गई, फिर पतझड़ की नाक<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">सब पेड़ों ने पहन ली, हरी-हरी पोशाक<br /><br />बच्चे बारिश देखकर, गए खुशी से फूल<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">'रेनी डे' -में हो गए, बंद सभी स्कूल<br /><br />सुनकर बादल बूँद के, टूट गए संबंध<br /></span></strong><strong><span style="color:#000099;">नदी तोड़ कर चल पड़ी, तट के सब अनुबंध<br /></span></strong><br /><span style="color:#ff0000;">-सुनील जोगी</span><br /><span style="color:#ff0000;"></span><br /><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">http://www.hasyakavisammelan.com/</a><br /><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">http://www.kavisuniljogi.com/</a><br /><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a><br />cell no - 09811005255kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-20889825833797304832007-08-01T10:04:00.000-07:002007-08-12T01:01:56.091-07:00रिश्ता<span style="color:#009900;"></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong><span style="color:#ff6600;">मेरी नजरों को वो शख्स फरिश्ता लगता है<br />कभी कभी मुझको मेरा ही हिस्सा लगता है<br />दूर अगर जाउं तो बेचैनी सी होती है<br />मेरा उसका जनम जनम का रिश्ता लगता है<br /><br />पावन हों तो माथे का, चन्दन बन जाते हैं<br />राधा कान्हा हों तो, वन्दावन बन जाते हैं<br />एक साथ रह करके भी, दूरी सी लगती है<br />कभी कभी ये रिश्ते भी, बन्धन बन जाते हैं<br /><br />अपने मतलब से दुनियां में, रिश्ता नाता है<br />हाथ मिलाते हैं सब, दिल को कौन मिलाता है<br />काम निकल जाए तो, कोई याद नहीं करता<br />बारिश थम जाए तो, छाता कौन लगाता है<br /><br />उसका अंदाज जमाने से जुदा लगता है<br />वो मुझे मेरी मोहब्बत का खुदा लगता है<br />मेरा उसका कोई रिश्ता तो नहीं है लेकिन<br />कोई कुछ उसको कहे, मुझको बुरा लगता है<br /><br /><br /><br /></span><br /></strong></span>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8722294827009696609.post-35055843258555259832007-06-07T10:26:00.000-07:002007-07-29T23:15:15.924-07:00जोगी जी वाह<span style="color:#006600;"><span style="font-size:180%;"><blockquote><span style="color:#006600;"><span style="font-size:180%;"></span></span></blockquote>डॉक्टर सुनील जोगी की शायरी <blockquote></blockquote></span></span><br /><span style="color:#006600;"><span style="font-size:180%;"></span><br /><span style="font-family:Arial;"></span><br /></span><strong><span style="font-family:arial;"><span style="color:#cc33cc;">जो हाथ जोड.कर के, मन्दिरों में खडे. हैं<br />संतों के, महंतों के, जो चरणों में पडे. हैं<br />नादान हैं शायद उन्हें, मालूम नहीं है<br />मंदिर की मूर्तियों से तो, मां बाप बडे. हैं ।<br /><br />हर एक शख्स उसे, अपनी दुआ देता है<br />जहां भी जाता है, मेला सा लगा लेता है<br />न जाने कौन सा, कुदरत ने हुनर बख्शा है<br />वो दुश्मनों से भी, तारीफ करा लेता है ।</span><br /></strong></span><span style="font-family:arial;color:#cc6600;"><br /><span style="color:#cc33cc;"><strong>कुछ में राम बसा है तो, कुछ में रहमान धड.कता है<br />गीता औ कुरआन, बाइबिल, का सम्मान धड.कता है<br />धर्म, प्रांत से अलग भले हैं, कह दो दुनियां वालों से<br />सौ करोड. के दिल में अब भी,हिन्दुस्तान धड.कता है।<br /><br />किसी को दिन के उजाले में गर सताओगे<br />तो अन्धेरे में कभी नींद नहीं आयेगी<br />बेवजह घर के चरागों को बुझाने वालो<br />तुम्हारे घर में रौशनी न कभी आयेगी ।<br /><br />कितनी भी तपती धरती हो, बादल प्यास बुझा देता है<br />एक फूल भी खिल जाये तो,गुलशन को महका देता है<br />हल्की सी आवाज मिटा देती है, सारे सन्नाटे को<br />इक छोटा सा दीप अकेला, तम को दूर भगा देता है।<br /><br />कल जो इक बीज था, वो आज शजर लगता है<br />बहुत मुश्किल था जो, आसां वो सफर लगता है<br />मेरे घर फूल हैं, खुशबू है, चांदनी भी है<br />ये बुजुर्गों की दुआओं का असर लगता है ।<br /><br />मुझे हास्पिटल में गुलाब आ रहे हैं<br />सुबह शाम नर्सों के ख्वाब आ रहे हैं<br />जिन्हें खत लिखे थे जवानी में मैंने<br />जवानी में उनके जवाब आ रहे हैं ।<br /><br />किसी गीता से ना क़ुरआं से अदा होती है<br />न बादशाहों की दौलत से अता होती है<br />रहमतें सिर्फ बरसती हैं उन्हीं लोगों पर<br />जिनके दामन में बुज़ुर्गों की दुआ होती है ।<br /><br />आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं<br />जेब खाली है खज़ाने का हुनर रखते हैं<br />अपनी आंखों में भले आंसुओं का सागर हो<br />मगर जहां को हसांने का हुनर रखते हैं ।<br /><br />हर इक मूरत ज़रूरत भर का पत्थर ढूंढ. लेती है<br />किसी को नींद आ जाये तो बिस्तर ढूंढ. लेती है<br />अगर हो हौसला दिल में तो मंज़िल मिल ही जाती है<br />नदी खुद अपने क़दमों से समन्दर ढूंढ. लेती है ।</strong></span></span><br /></span><span style="font-family:arial;color:#cc6600;"><span style="color:#cc33cc;"><strong><br /><br /></strong></span><span style="color:#000000;"><strong>DR. SUNIL JOGI<br />DELHI, INDIA<br />CONTACT ON - O9811005255</strong></span><br /><span style="color:#009900;"><span style="color:#cc0000;"><a href="http://www.kavisuniljogi.com/">http://www.kavisuniljogi.com/</a></span></span><br /><span style="color:#009900;"><span style="color:#cc0000;"><a href="http://www.hasyakavisammelan.com/">http://www.hasyakavisammelan.com/</a></span></span><br /><span style="color:#009900;"><span style="color:#cc0000;"><a href="mailto:kavisuniljogi@gmail.com">kavisuniljogi@gmail.com</a></span></span><br /><span style="color:#009900;"><span style="color:#cc0000;"></span><br /><br /><br /><br /></span></span><br /><br /></span>kavisuniljogihttp://www.blogger.com/profile/08464428446820611743noreply@blogger.com0