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Tuesday, October 2, 2007

वादा

किसके दिल में क्‍या है, ये अंदाज़ा करते हैं
माल दिखे तो फौरन आधा-आधा करते हैं
कोई काम नहीं करते हैं, ये खद्दर वाले
केवल भाषण देते हैं, औ वादा करते हैं

अपने दामन को तार-तार कर लिया मैंने
प्‍यार अहसास था अख़बार कर लिया मैंने
जिसने दुनिया में कभी कोई सच नहीं बोला
उसके वादों पे ऐतबार कर लिया मैंने


यहां लोग मरकर जिए जा रहे हैं
बिखरकर लहू को सिए जा रहे हैं
खुदा जाने कब ये गरीबी मिटेगी
वो वादे पे वादे किए जा रहे हैं

ग़मों में मुस्‍कराता जा रहा हूं
मैं तन्‍हा गीत गाता जा रहा हूं
किसी से कह दिया था ख़ुश रहूंगा
वही वादा निभाता जा रहा हूं

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