>
हास्य वसंत में आपका हार्दिक स्वागत है..........

Sunday, August 26, 2007

हंसी

आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं
जेब खाली है, खजाने का हुनर रखते हैं
अपनी आंखों में, भले आंसुओं का सागर हो
मगर जहां को हंसाने का हुनर रखते हैं

भीड. में दुनिया की पहचान बनी रहने दो
खुशी को अपने घर, मेहमान बनी रहने दो
हजार मुश्किलें आकर के, लौट जाएंगी
अपने होठों पे ये, मुस्‍कान बनी रहने दो

मां के आगे किसी मंदिर में न जाया जाए
कोई भूखा हो तो हमसे भी न खाया जाए
बस यही सोच के, सौ काम मैंने छोड. दिए
पहले रोते हुए लोगों को हंसाया जाए

किसी न किसी के गुनहगार होंगे
या फिर इस वतन के ही गद्दार होंगे
हंसी तो है यारो, इबादत खुदा की
जो हंसते नहीं हैं, वो बीमार होंगे

DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
kavisuniljogi@gmail.com

4 comments:

अनुनाद सिंह said...

रचना में व्यक्त भाव बहुत पसन्द आया।

स्वागतम्, हिन्दी चिट्ठाजगत में !

अभिनव said...

वाह वाह भाईसाहब, चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। आपके यहाँ आने से सबको श्रेष्ठ हास्य व्यंग्य को तथा अच्छी अच्छी कविताओं को पढ़ने का सुअवसर मिलेगा।

Reetesh Gupta said...

बहुत खूब है भाई ...मजा आ गया ...बधाई

Udan Tashtari said...

बहुत खूब, महारज...जारी रहो.