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Sunday, September 9, 2007

फूल

महकती हुई जिन्‍दगी बांटते हैं
ज़माने में सबको ख़ुशी बांटते हैं
भले उनकी किस्‍मत में कांटे लिखे हों
मगर फूल हमको हंसी बांटते हैं

सोने चांदी को खजानों में रखा जाता है
बूढे लोगों को दालानों में रखा जाता है
रंग होते हैं बस, खुशबू नहीं होती जिनमें
उन्‍हीं फूलों को गुलदानों में रखा जाता है

ग़मों के बीच भी जो लोग मुस्‍कराते हैं
वही इंसानियत का हौसला बढाते हैं
लोग कांटों को तो छूने से भी कतराते हैं
फूल होते हैं तो पहलू में रखे जाते हैं

चाहत के बदले नफ़रत का, नश्‍तर लेकर बैठे हैं
पीने का पानी मांगा तो, सागर लेकर बैठे हैं
लाख भलाई कर लो, लेकिन लोग बुराई करते हैं
हमने जिनको फूल दिए, वो पत्‍थर लेकर बैठे हैं

DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
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7 comments:

Rajesh Roshan said...

ग़मों के बीच भी जो लोग मुस्‍कराते हैं
वही इंसानियत का हौसला बढाते हैं

शाश्वत पंक्तिया

ghughutibasuti said...

रंग होते हैं बस, खुशबू नहीं होती जिनमें
उन्‍हीं फूलों को गुलदानों में रखा जाता है
ये पंक्तियाँ विशेष रूप से अच्छी लगी ।
घुघूती बासूती

परमजीत सिहँ बाली said...
This comment has been removed by the author.
परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया मुकत्क लिखें हैं।बधाई।

Unknown said...

चाहत के बदले नफ़रत का, नश्‍तर लेकर बैठे हैं
पीने का पानी मांगा तो, सागर लेकर बैठे हैं

bahut hi achi panktiyan hain!!!

बसंत आर्य said...

पन्क्तियां बहुत अच्छी लगी. धन्यवाद

Sumit Pratap Singh said...

badiya hai...