विकास योजना तैयार किए बैठे हैं
सबकी उम्मीद तार-तार किए बैठे हैं
हमने सरकारी महक़मों में जाके देखा है
जुगुनू सूरज को गिरफ्तार किए बैठे हैं
भाव सेवा का दिखाने में लगे हैं प्यारे
बिना पानी के नहाने में लगे हैं प्यारे
जिनसे उम्मीद थी खुशियों की सुबह लाएंगे
अपनी सरकार बचाने में लगे हैं प्यारे
लगता है घर के आंगन को दीवार खा गई
दरिया चढा तो नाव को पतवार खा गई
सारी विकास योजनाएं फाइलों में हैं
जनता के सारे ख्वाब तो सरकार खा गई
ख़ुशबू की खिलाफत का फैसला तो देखिए
आएगा किसी रोज़, जलजला तो देखिए
सूरज को भी गुमराह कर रहे हैं दोस्तो
सरकारी चराग़ों का हौसला तो देखिए
DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
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Monday, September 17, 2007
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1 comment:
बहुत सही प्रहार!! :)
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