महकती हुई जिन्दगी बांटते हैं
ज़माने में सबको ख़ुशी बांटते हैं
भले उनकी किस्मत में कांटे लिखे हों
मगर फूल हमको हंसी बांटते हैं
सोने चांदी को खजानों में रखा जाता है
बूढे लोगों को दालानों में रखा जाता है
रंग होते हैं बस, खुशबू नहीं होती जिनमें
उन्हीं फूलों को गुलदानों में रखा जाता है
ग़मों के बीच भी जो लोग मुस्कराते हैं
वही इंसानियत का हौसला बढाते हैं
लोग कांटों को तो छूने से भी कतराते हैं
फूल होते हैं तो पहलू में रखे जाते हैं
चाहत के बदले नफ़रत का, नश्तर लेकर बैठे हैं
पीने का पानी मांगा तो, सागर लेकर बैठे हैं
लाख भलाई कर लो, लेकिन लोग बुराई करते हैं
हमने जिनको फूल दिए, वो पत्थर लेकर बैठे हैं
DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
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Sunday, September 9, 2007
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7 comments:
ग़मों के बीच भी जो लोग मुस्कराते हैं
वही इंसानियत का हौसला बढाते हैं
शाश्वत पंक्तिया
रंग होते हैं बस, खुशबू नहीं होती जिनमें
उन्हीं फूलों को गुलदानों में रखा जाता है
ये पंक्तियाँ विशेष रूप से अच्छी लगी ।
घुघूती बासूती
बहुत बढिया मुकत्क लिखें हैं।बधाई।
चाहत के बदले नफ़रत का, नश्तर लेकर बैठे हैं
पीने का पानी मांगा तो, सागर लेकर बैठे हैं
bahut hi achi panktiyan hain!!!
पन्क्तियां बहुत अच्छी लगी. धन्यवाद
badiya hai...
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