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Thursday, September 27, 2007

मोहब्‍बत

कभी हमको हंसाती है, कभी हमको रूलाती है
जिन्‍हें जीना नहीं आता, उन्‍हें जीना सिखाती है,
खुदा के नाम पर लिक्‍खी, ये दीवानों की पाती है
मोहब्‍बत की नहीं जाती, मोहब्‍बत खुद हो जाती है ।

खुदा के सामने दिल से इबादत कौन करता है
तिरंगा हाथ में लेकर शहादत कौन करता है
ये कसमें और वादे चार दिन में टूट जाते हैं
वो लैला और मजनूं सी मोहब्‍बत कौन करता है ।

जीतने में क्‍या मिलेगा, जो मजा है हार में
जिन्‍दगी का फलसफा है, प्‍यार के व्‍यापार में
हम तो तन्‍हा थे, हमारा नाम लेवा भी न था
इस मोहब्‍बत से हुआ चर्चा सरे बाजार में ।

सदा मिलने की चाहत की, जुदा होना नहीं मांगा
हमें इंसान प्‍यारे हैं, खुदा होना नहीं मांगा
हमेशा मंदिरो मस्जिद में, मांगा है मोहब्‍बत को
कभी चांदी नही मांगी, कभी सोना नहीं मांगा ।

DR. SUNIL JOGIDELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
www.kavisuniljogi.com
www.hasyakavisammelan.com
kavisuniljogi@gmail.com

10 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

जोगी जी वाह, अपनी बातों को बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ प्रस्तूत किया है, सच बड़ा हीं कड़वा होता है, आपने सच कहा है इसलिए आपको धन्यवाद .

Divine India said...

काफी दिनों बाद प्रेम को परिभाषित करती एक बेहद संजीदा रचना पढ़ने को मिली… सच कहे तो अद्भुत!!!

क्षितिज said...

जोगी जी वाह जोगी जी.....आपको बहुत दिनो से सुनते आये है..अच्छा लगता है...मोहब्बत.का खूबसूरत बयान.....

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!! वाह वाह!!!

सुनीता शानू said...
This comment has been removed by the author.
सुनीता शानू said...

वाह जोगी जी एसी खूबसूरत रचना जो बरबस ही दिल को छू लेती है...

rashmi singh said...

Thank you Jogi ji,bhaut sunder

rashmi singh said...

very good poem

मुकेश "जैफ" said...

हम तो आपके कायल हो गये।

Unknown said...

jogi g aap ki kavita maa kamal hai.....yey apney likhee nai apko utree hai is kainat sey-----jaisey quran utree thee through paigambar hazrat mohammad saab ko.
appko pranam ki aap jariya baney ki duniya ko y beshkeemtee poetry naseeb ho
navinpant