डॉक्टर सुनील जोगी की शायरी
जो हाथ जोड.कर के, मन्दिरों में खडे. हैं
संतों के, महंतों के, जो चरणों में पडे. हैं
नादान हैं शायद उन्हें, मालूम नहीं है
मंदिर की मूर्तियों से तो, मां बाप बडे. हैं ।
हर एक शख्स उसे, अपनी दुआ देता है
जहां भी जाता है, मेला सा लगा लेता है
न जाने कौन सा, कुदरत ने हुनर बख्शा है
वो दुश्मनों से भी, तारीफ करा लेता है ।
कुछ में राम बसा है तो, कुछ में रहमान धड.कता है
गीता औ कुरआन, बाइबिल, का सम्मान धड.कता है
धर्म, प्रांत से अलग भले हैं, कह दो दुनियां वालों से
सौ करोड. के दिल में अब भी,हिन्दुस्तान धड.कता है।
किसी को दिन के उजाले में गर सताओगे
तो अन्धेरे में कभी नींद नहीं आयेगी
बेवजह घर के चरागों को बुझाने वालो
तुम्हारे घर में रौशनी न कभी आयेगी ।
कितनी भी तपती धरती हो, बादल प्यास बुझा देता है
एक फूल भी खिल जाये तो,गुलशन को महका देता है
हल्की सी आवाज मिटा देती है, सारे सन्नाटे को
इक छोटा सा दीप अकेला, तम को दूर भगा देता है।
कल जो इक बीज था, वो आज शजर लगता है
बहुत मुश्किल था जो, आसां वो सफर लगता है
मेरे घर फूल हैं, खुशबू है, चांदनी भी है
ये बुजुर्गों की दुआओं का असर लगता है ।
मुझे हास्पिटल में गुलाब आ रहे हैं
सुबह शाम नर्सों के ख्वाब आ रहे हैं
जिन्हें खत लिखे थे जवानी में मैंने
जवानी में उनके जवाब आ रहे हैं ।
किसी गीता से ना क़ुरआं से अदा होती है
न बादशाहों की दौलत से अता होती है
रहमतें सिर्फ बरसती हैं उन्हीं लोगों पर
जिनके दामन में बुज़ुर्गों की दुआ होती है ।
आपका दर्द मिटाने का हुनर रखते हैं
जेब खाली है खज़ाने का हुनर रखते हैं
अपनी आंखों में भले आंसुओं का सागर हो
मगर जहां को हसांने का हुनर रखते हैं ।
हर इक मूरत ज़रूरत भर का पत्थर ढूंढ. लेती है
किसी को नींद आ जाये तो बिस्तर ढूंढ. लेती है
अगर हो हौसला दिल में तो मंज़िल मिल ही जाती है
नदी खुद अपने क़दमों से समन्दर ढूंढ. लेती है ।
DR. SUNIL JOGI
DELHI, INDIA
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