डॉ. सुनील जोगी – एक परिचय
डॉ. सुनील जोगी भारत के एक बहुचर्चित कवि और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व का नाम हैा उन्होंने विविध विषयों की लगभग 75 पुस्तकों का प्रणयन किया है ा विभिन्न राष्ट्रीय पत्र पत्रकाओं में स्तम्भ लेखन के साथ उन्होंने अनेक चैनलों पर भी अपनी प्रस्तुतियां दी हैं ा जोगी जी ने भारत के अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे, दुबई, ओमान, सूरीनाम जैसे अनेक देशों में कई-कई बार काव्य यात्राएं की हैं तथा अब तक लगभग 2500 से अधिक कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ और संचालन किया है ा उन्हें आज देश की नई पीढी के कवियों में सर्वाधिक उर्जावान रचनाकार माना जाता है तथा मंच पर अद्भुत प्रस्तुति देने में उनका कोई सानी नहीं है ा
श्री जोगी ने अनेकों कैसेटों और फिल्मों में गीत लिखे हैं तथा संसद भवन से लेकर विभिन्न मंत्रालयों व राज्य स्तरीय अकादमियों में उच्च पदों पर कार्य किया है ा
आजकल वे भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों व राजनेताओं के सलाहकार हैं और एक ‘हास्य वसंत’ त्रैमासिकी का संपादन करते हैं ा
उन्हें आप उनके जालघर पर जाकर सम्पर्क कर सकते हैं -
DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
CONTACT ON -O9811005255
kavisuniljogi@gmail.com
यहां डॉ. सुनील जोगी की नवीनतम और चर्चित रचना मां प्रस्तुत है –
मां
किसी की खातिर अल्ला होगा
किसी की खातिर राम
लेकिन अपनी खातिर तो है
मां ही चारों धाम ा
जब आंख खुली तो अम्मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्हा सा आंचल मुझको
भूमण्डल से प्यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्धन तोड. आए
बंगले में कुत्ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है
मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है
मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्य की काया है
मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्तों की गहराई है
मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है
सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है
मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है
माना मेरे घर की दीवारों में
चन्दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है
अम्मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है
सारे तीरथ के पुण्य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्तान नहीं
मैं उन मांओं का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं ा
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DR. SUNIL JOGI DELHI, INDIA
CONTACT ON - O9811005255
43 comments:
वाकई जोगी जी वाह!!
बहुत उम्दा रचना!
Speechless...
jogi ji maja aagya sir.. u r the best.
aap mahan ho mai bhi ek chota kavi hoo aur aap se prenra lekar aage badhna chata hoo
Jogi sahab,lagta hai swayam bhagwan krishna ki peeda aj ke is kaliyug mai apke mukharwind se nikli hai..ki kitni maa yashoda apne ladlo ke liye marti rahi or kitne poot kapoot banke unhe besahara chhod jate hai. Hats off to you. May u live long and keep blessing this society with your wondeful godly poems.
Dear Jogi saheb ..this is the best poam I have seen about MAA...you make me cry....really we are proud that we have such a person in india....This poam is by you seems that the GOD himself is speaking ....for all the mankind...salute to you sir...congrats for such a nice poam n thanks ..Regards
Shivlal Kawale, Bahrain
00973 355 97874
aap mahan ho jogi g
wah jogi Ji wah
Dil ko chu lene wali kavita. Aankho me aashu aa jate hai jab yah kavita padhta hu aur sunta ho to. Maa bahut yaad aati hai. Ab wo is duniya me nahi hai.
Ramji
7388149099
Kya bat h guru Ji 9794979844
Dr Sunil Sir apki ye kawita school me bolu ga Sir bhut achhi kawita he ye
Bahut hi accha Hai sir ji maa ko isse acchi tarah se nahi samjhaya ja sakta God bless you sir
Wah jogi ji
बहुत बहुत अच्छा है
अल्फाज नही बातने के लिए सर जी
आप पर लाखों सलाम
Hum kaabil to nhi judge krney k pr bahut khud likha h aur gaaya bhi bahut acha h aapney
Such a good poem
Nice and mind blowing poem thankyou very much Mr Sunil Jogi
Very very nice...
Very Hart Touching Poem Dr. Sunil Jogi I liked.......Very nice Sir
आज मुझे आपकी कविता मिली हैं सर, आपने मॉ पर पूरी कायनात को न्यौछावर कर दिया.....सच में,मेरे पास शब्द नहीं हैं आपके द्वारा बनाई कविता के लिए .....बस मैं दो बूद आँखो से श्रद्धाजंलि के रूप में समर्पित करना चाहूँगा और प्रार्थना करूँगा कि यह कविता अमर हो जाये | अगर आपकी आज्ञा मिले तो मैं अपनी बेवसाइट merajazbaa.com पर जरूर प्रकाशित करना चाहूँगा | यह मेरा सौभाग्य होगा | आप मुझे pathakvikas333@gmail.com पर अपनी राय दे सकते हैं | मुझे आपके जवाब की प्रतिक्षा रहेगी | धन्यवाद -
आज मुझे आपकी कविता मिली हैं सर, आपने मॉ पर पूरी कायनात को न्यौछावर कर दिया.....सच में,मेरे पास शब्द नहीं हैं आपके द्वारा बनाई कविता के लिए .....बस मैं दो बूद आँखो से श्रद्धाजंलि के रूप में समर्पित करना चाहूँगा और प्रार्थना करूँगा कि यह कविता अमर हो जाये | अगर आपकी आज्ञा मिले तो मैं अपनी बेवसाइट merajazbaa.com पर जरूर प्रकाशित करना चाहूँगा | यह मेरा सौभाग्य होगा | आप मुझे pathakvikas333@gmail.com पर अपनी राय दे सकते हैं | मुझे आपके जवाब की प्रतिक्षा रहेगी | धन्यवाद -
Gajab yaar...! May i recite this poem in poetry recitation competition of my university...jogi g ?
Very nice
अदभुत रचना, ये सब लोग नही जानते पर इसे सुनने के बाद आंखों से आँशु नही भावनाये बहती है । ऐसा प्रतित होता है कमबख्त जिंदगी की कितनी बड़ी गलती का एहसास दिलाती है ये। great sir u r really great....
Wah gajab jaiho ma
Wah wah jogi
जोगी जी वाह क्या कविता लिखी है आपने मां के ऊपर
Sir ji आप दुनिया के महान कवियों में से एक है आप की इस कविता की जितनी तारीफ करी जाए उतनी कम है माँ का दिल बहुत बड़ा होता है और इस कविता से बेहतर इस दुनिया मे कोई जाहिर नही कर सकता है इस कविता को सुन कर मेरी आँखें नम हो गयी क्योकि मैं अपनी माँ से बहुत ज्यादा प्यार करता हु और वो अब इस दुनिया मे नही है लेकिन इस कविता को सुन कर मेरे दिल मे बहुत शांति मिली और मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद कहना चाहता हु की आपने इस कविता को बहुत हु प्यार बनाया है
धन्यवाद जोगी जी ।
वाह बहुत शानदार
माँ तुम्हें सलाम करता हूँ
Jogi sir ma ke chittran me poora ka poora jeevan darsan,mano sakchhat Dev darsan kara die,is se sundar rachana Abhi take nahi similar. aap ko pranam ����
sir mujhe bhi rachna kar banan he kuch upay bataye
agar samaj ki manawata jo kh rahi he uspar ko rachan kare to apki kripa hogi
raju maurya
वहा वहा सत्य बचन
आप इसी तरह मन मां पर कविता लिखते रहें और समाज के कोने कोने तक फैलाते रहें,इसे कहते हैं पुण्य
SIR
VERY NICE KAVITA ME PER
Oll the best chote kavi
yogi ji whaaa bhut hi sanadar rachna h sir aapki i salute u sir
super jogi ji super
Hame galat taste se Jane se bacha liya very very thank you
Sir i am proudaf you
Sir i am proudaf you
सर आप महान कवि हो
Wah jogi hi wha I love my mother!😘😘
Very very nice
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